Makhana ki kheti: इस राज्य के किसानो पर मखाना की खेती करने का बढ़ा क्रेज, सरकार खेती शुरू करने के लिए दे रही 40 हजार रूपए
यह क्षेत्र विशेष रूप से उन इलाकों के लिए उपयुक्त है, जहां बारिश का पानी काफी समय तक जमा रहता है, जैसे लो लैंड एरिया और तालाबों वाले स्थान।
Makhana ki kheti: इस राज्य के किसानो पर मखाना की खेती करने का बढ़ा क्रेज, सरकार खेती शुरू करने के लिए दे रही 40 हजार रूपए
उत्तर प्रदेश का पूर्वांचल क्षेत्र मखाना की खेती के लिए एक प्रमुख हब बनने जा रहा है। राज्य सरकार ने 14 जिलों में मखाना की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक नई पहल शुरू की है, जिसमें गोरखपुर, कुशीनगर, और महाराजगंज जिलों को प्राथमिकता दी जा रही है। यह क्षेत्र विशेष रूप से उन इलाकों के लिए उपयुक्त है, जहां बारिश का पानी काफी समय तक जमा रहता है, जैसे लो लैंड एरिया और तालाबों वाले स्थान।
गोरखपुर मंडल में कई ब्लॉक ऐसे हैं, जहां बारिश का पानी खेतों में जमा रहता है, जिससे यह क्षेत्र मखाना की खेती के लिए आदर्श साबित हो सकता है। यहां के किसान अब तालाबों और जलाशयों का उपयोग कर मखाना की खेती को तेजी से अपना रहे हैं।
मखाना की खेती का विस्तार
देवरिया में मखाना की खेती का सफल प्रयोग 2023 से शुरू हुआ और यह पूर्वांचल का पहला जिला बन गया, जहां मखाना की खेती बड़े पैमाने पर हो रही है।
मखाना की खेती के फायदे
सरकार प्रति हेक्टेयर 40 हजार रुपये की सब्सिडी प्रदान करेगी, जिससे किसानों की लागत कम होगी। मखाना की खेती से प्रति हेक्टेयर 25-29 क्विंटल उत्पादन होने की उम्मीद है। मखाना पोषक तत्वों से भरपूर होता है और इसे सुपरफूड के रूप में मान्यता दी जा रही है, जिससे इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है।
मखाना की खेती से पूर्वांचल के किसान न केवल अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकते हैं, बल्कि इसे पूरे देश में आपूर्ति कर सकते हैं। इस क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी मखाना उत्पादन के लिए अनुकूल है, जो इसे इस उद्योग का हब बनाने की ओर अग्रसर है।